Golden Rules Of Accounting क्या है ?

Golden Rules Of Accounting

Golden Rules Of Accounting क्या है ?

Golden Rules of Accounting  – दोस्तों आज के इस लेख में हम बात करने वाले है एकाउंटिंग ( Accounting) के उन Rules के बारे में जिन्हें जानना और समझना बेहद जरुरी है ! अगर देखा जाए तो सही मायने में पूरी एकाउंटिंग इन्ही नियमो पर टिकी हुई है ! अगर आपने इन नियमो को अच्छी तरह से समझ लिया तो एकाउंटिंग आपके लिए बहुत ही आसान हो जाएगी ! तो आइये जानते है Golden Rules of Accounting In Hindi –

Golden Rules of Accounting In Hindi

मुख्य रूप से एकाउंटिंग के तीन प्रकार होते है ( Types of Accounting )

  1. व्यक्तिगत खाता ( Personal Account )
  2. वास्तविक खाता ( Real Account )
  3. अवास्तविक / नाममात्र के खाते ( Nominal Account )

इन तीनो खातो के लिए अलग – अलग प्रकार से तीन नियम (Accounting Rules ) होते है !

1. व्यक्तिगत खाता ( Personal Account )

किसी व्यक्ति या संस्था से सम्बन्धित लेखो को व्यक्तिगत खाता कहते है ! जैसे राम का खाता , मोहन का खाता , किसी फर्म या कंपनी का खाता !

व्यक्तिगत खाते का नियम ( Rules of Personal Account )

पाने वाले को नाम करो और देने वाले को जमा (Debit The Receiver And Credit The Giver )

स्पष्टीकरण :

जो व्यक्ति कोई वस्तु प्राप्त करता है उन्हें Receiver कहा जाता है और उन्हें Debit की तरफ रखा जाता है ! और जो व्यक्ति कोई वस्तु देता है उन्हें Giver कहा जाता है और उन्हें Credit की तरफ रखा जाता है !

Example :

राम को 1000 रुपया दिया गया , राम 1000 रुपया ले रहा है अतः वह Receiver हुआ . इसलिए राम के खाते को Debit में रखा जायेगा !

मोहन से 1000 रुपया प्राप्त हुआ ! मोहन 1000 रुपया दे रहा है अतः वह Giver हुआ ! इसलिए मोहन के खाते को Credit में रखा जायेगा !

2. वास्तविक लेखा ( Real Account )

किसी भी वस्तु या सम्पति से सम्बन्धित खाते को वास्तविक खाता कहते है ! जैसे – रोकड़ का खाता ( Cash A/c ) , Machinery A/c , Furniture A/c आदि !

वास्तविक खाते के नियम ( Rule of Real Account )

जो वस्तु व्यापार में आती है उसे नाम करो और जो वस्तु व्यापार से जाती है उसे जमा करो (Debit What Comes In And Credit What Goes Out )

स्पष्टीकरण :

व्यवसाय में जो वस्तुए आती है उसे Debit में रखा जाता है और व्यवसाय से जो वस्तुए जाती है उसे Credit में रखा जाता है !

Example :

व्यापार के लिए 1000 रूपये की मशीनरी खरीदी , इसमें मशीनरी व्यापार में आ रही है अतः मशीनरी खाते को Debit किया जायेगा !

5000 रूपये का फर्नीचर बेचा , इसमें फर्नीचर व्यापार से जा रहा है अतः फर्नीचर खाते को Credit किया जायेगा !

3. अवास्तविक / नाममात्र का खाता ( Nominal Account )

आय और व्यय से सम्बन्धित खातो को अवास्तविक खाता कहा जाता है ! जैसे Rent A/c , Interest A/c आदि !

अवास्तविक खाते का नियम ( Rule of Nominal Account )

सभी खर्च और हानियों को नाम करो और सभी आय और लाभों को जमा करो ( Debit All Expenses and Losses And Credit All Income and Gains )

स्पष्टीकरण :

व्यवसाय में जो खर्च होता है उसके नाम को Debit किया जाता है ! इसी प्रकार व्यवसाय में जो आमदनी या लाभ होता है उसे Credit किया जाता है !

Example :

5000 रूपये ऑफिस के किराया हेतु चुकाया , इसमें किराया खाते ( Rent A/c ) को Debit किया जायेगा ! क्योंकि किराया एक प्रकार का खर्चा ( Expenses ) है !

माल खरीदते समय 5000 रूपये का Discount प्राप्त हुआ , इसमें Discount को Credit किया जायेगा ! क्योंकि हमे Discount के रूप में Income हो रही है !

मै उम्मीद करता हूँ कि Golden Rules of Accounting  के इस लेख में आपको बताये गए इन नियमो से जरुर सहायता मिली होगी ! अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगा है तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे ! और यदि इसमें कोई त्रुटी रह गई है तो आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते है !

FAQ :

Q : एकाउंटिंग के गोल्डन रूल्स क्या है ?

Ans : व्यक्ति खाते के नियम  – पाने वाले को नाम ( Dr.) करो , देने वाले को जमा ( Cr. ) करो ! वास्तविक खाते के नियम – जो वस्तु व्यापार में आती है उसे नाम करो और जो वस्तु व्यापार से जाती है उसे जमा करो ! अवास्तविक खाते के नियम – समस्त खर्चो और हानियों को नाम करो तथा समस्त लाभों और आयो को जमा करो !

Q : व्यक्तिगत खाता किसे कहते है ?

Ans : किसी व्यक्ति या संस्था से सम्बन्धित खातो को व्यक्तिगत खाता कहते है ! जैसे राम का खाता , मोहम का खाता , किसी फर्म का खाता !

Q : नॉमिनल अकाउंट क्या है ?

Ans : आय और व्यय के खातो को अवास्तविक या नॉमिनल खाता कहते है ! जैसे Rent a/c , Interest a/c

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