What Is Accounting In Hindi | लेखांकन क्या है ? पूरी जानकारी

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What Is Accounting In Hindi – लेखांकन क्या है ?

Accounting Kya hai – हेल्लो दोस्तों ! कैसे है आप ? आज के इस लेख में हम बात करेंगे एकाउंटिंग क्या ( What is Accounting ) है ?Accounting क्यों की जाती है ? एकाउंटिंग के प्रकार ( Types of Accounting ) क्या है ? तथा इसके लाभ और उद्देश्य क्या है ? इन सभी बातो को हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे ! अतः इन सब बातो को जानने के लिए आप इस लेख को अंत तक जरूर पढ़िए ! तो  चलिए  शुरू करते है  What Is Accounting In Hindi – लेखांकन क्या है ?

What Is Accounting In Hindi – लेखांकन क्या है ?

लेखांकन शब्द प्रायः दो शब्दों लेख और अंकन से मिलकर बना है ! इसमें लेख का अर्थ लिखने से होता है ! और अंकन का अर्थ अंको से होता है अर्थार्त व्यापारिक घटनाक्रम में प्रतिदिन जो भी  लेन – देन होते है उनको लिखा जाना ही लेखांकन (Accounting ) है !

किसी खास उद्देश्य को हासिल करने करने के लिए घटित घटनाओ को अंको में लिखे जाने की क्रिया को लेखांकन ( Accounting ) कहा जाता है ! यहाँ घटनाओ से आशय उन क्रियाओ से है जिसमे रुपयों का लेनदेन होता है !

लेखांकन  की प्रारंभिक क्रियाओ में निम्न तीन चरण होते है :

  • अभिलेखन ( Recording ) : व्यापारी द्वारा प्रतिदिन के लेन – देन को जिस प्रारंभिक पुस्तक में लिखा जाता है !  उस क्रिया को अभिलेखन कहा जाता है ! अभिलेखन को हम रोजनामचा या Journal भी कहते है !
  • वर्गीकरण ( Classification ) : अभिलेखन की क्रिया को अलग – अलग भागो में विभाजित कर लिखे जाने की क्रिया को वर्गीकरण कहते है ! इस क्रिया को खाता ( Ledger ) भी कहते है !
  • संक्षेपण ( Summarising ) : वर्गीकृत मदो को एक जगह लिखे जाने की क्रिया को संक्षेपण कहा जाता है ! संक्षेपण को हम Trial Balance भी कहते है !
 
वर्तमान में व्यवसाय के आकार  में वृद्धि और जटिलताओं  के कारण प्रतिदिन होने वाले हजारो लेन – देनो को याद रखना कठिन है ! तथा सभी व्यवसायी अपने व्यापार में होने वाले लाभ – हानि , सम्पतिया , देनदारियां , लेनदारिया कितनी है इन समस्त बातो को वह जानना चाहता है जो लेखांकन ( Accounting ) से ही संभव है !

 

लेखांकन की विशेषताएं ( Accounting Features ) :

  • लेखांकन व्यावसायिक लेन – देनो को लिखने और उन्हें वर्गीकृत करने की कला है !
  • यह सारांश लिखने , विश्लेषण और निर्वचन करने की कला है !
  • इसमें लेनदेन मुद्रा में व्यक्त होते है !
  • यह लेनदेन पूर्ण या आंशिक रूप से वित्तीय प्रकृति के  होते है !
 

लेखांकन के कार्य ( Accounting Functions ) :

लेखात्मक कार्य ( Recordative Function ) : व्यावसायी द्वारा किया जाने वाला यह प्रारंभिक व् आधारभूत कार्य है ! इसके अन्तर्गत प्रमुख रूप से व्यवसाय की प्रारम्भिक पुस्तकों में लेखा करना तथा उनको खातों के अनुसार वर्गीकृत करना शामिल है !

व्याख्यात्मक कार्य ( Interpretative Function ) : लेखांकन के इस कार्य के अंतर्गत जो हित रखने वाले पक्ष होते है उनके लिए वित्तीय विवरण व् प्रतिवेदन का विश्लेषण एवं व्याख्या करना शामिल है ! प्रबंधको की दृष्टि से यह कार्य बहुत ही मह्त्वपूर्ण माना जाता है !

संप्रेषणात्मक कार्य ( Communicating Function ) : लेखांकन के इस कार्य के तहत सभी पक्षकारो को व्यवसाय की वित्तीय स्थिति व् अन्य सूचनाएं प्रदान की जाती है !

वैधानिक आवश्यकताओ की पूर्ति करना ( Meeting Legal Needs ) : लेखांकन का यह कार्य वैधानिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है ! क्योंकि यदि लेखांकन ठीक से रखा जाए तो विभिन्न अधिनियमों के तहत आयकर रिटर्न , बिक्रीकर रिटर्न , वार्षिक खाते तैयार करना आदि कार्य बड़ी आसानी से किये जा सकते है !

व्यवसाय की सम्पतियो की रक्षा करना ( Protecting Business Assets ) : यदि व्यवसाय में होने वाले सभी लेनदेनों का उचित लेखा रखा जाए तो व्यवसाय में मौजूद सभी सम्पतियो की रक्षा आसानी से की जा सकती है !

निर्णय लेने में सहायता करना ( Facilitating Decision Making ) : लेखांकन करने से हमें व्यवसाय के सभी आंकड़े सही से उपलब्ध हो जाते है जिससे हमें निर्णय लेने में सुविधा रहती है !
 

लेखांकन के उद्देश्य ( Accounting Objectives ) :

 
  • लेखांकन का प्रथम उद्देश्य व्यवसाय में होने वाले सभी लेनदेनों का लेखा करना है ! जिससे की सही समय पर सही आंकड़े हमें मिल सके !
  • लेखांकन से हमें व्यवसाय के लाभ – हानि का ज्ञान हो जाता है !
  • लेखांकन के द्वारा प्रबंधको को वित्तीय सूचनाएं प्राप्त हो जाती है जिससे उन्हें निर्णय लेने में आसानी रहती है !
  • व्यवसाय में प्राय कई पक्षकार होते है जैसे लेनदार , देनदार , प्रबंधक , विनियोजक आदि ! अतः इन सभी पक्षकारो को सही सूचनाएं प्रदान करना ही लेखांकन का उद्देश्य है !
 

उद्देश्य के आधार पर लेखांकन के प्रकार (  Types of Accounting by Purpose ) :

 
वित्तीय लेखांकन ( Financial Accounting ) : लेखांकन के इस कार्य के अंतर्गत वित्तीय प्रकृति के सोदो का लेखा किया जाता है ! इन लेखो के आधार पर ही लाभ – हानि खाता ( P & L  A /C ) तथा चिठा ( Balance Sheet ) तैयार की जाती है !
 
लागत लेखांकन ( Cost Accounting ) : लेखांकन के इस कार्य के तहत किसी औद्योगिक इकाई में किसी वस्तु की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत को आसानी से ज्ञात किया जा सकता है ! तथा इस कार्य से लगत पर भी नियंत्रण किया जा सकता है !
 
प्रबंध लेखांकन ( Management Accounting ) : लेखांकन की यह एक आधुनिक विधि है ! जब कोई लेखाविधि प्रबंध की आवश्यकताओ के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएं प्रदान करती है तब इसे प्रबंधकीय लेखांकन कहते है !
 

लेखांकन के नियम ( Rules of Accounting ) :

व्यवसाय में लेनदेन हेतु तीन नियम बनाये गए है ! जिन नियमो से हमें पता चल जाता है कि कोनसे खाते को Debit तथा कोनसे खाते को Credit किया जायेगा ! तो जानते है  वे कोनसे नियम है –
 
1. व्यक्तिगत खाता ( Personal Account ) : किसी व्यक्ति या संस्था से सम्बंधित खातों को व्यक्तिगत खाता कहते है ! जैसे – Ram A/c , Mohan A/c , Bank A/c आदि !
 
  • व्यक्तिगत खाते का नियम ( Rule of  Personal Account ) : पाने वाले को नाम करो , देने वाले को जमा करो ( Debit The Receiver and Credit The Giver )

इस खाते में पाने वाले को नाम अर्थात Dr किया जायेगा और देने वाले को Cr किया जायेगा !

 
2. वास्तविक खाता ( Real Account ) : वस्तु एवं सम्पति से संबंधित खातों को वास्तविक खाता कहा जाता है ! जैसे – Cash A/c , Building A/c आदि !
 
  • वास्तविक खाते का नियम ( Rule of Real Account ) : जो वस्तु व्यापार में आती है उसे नाम करो और जो वस्तु व्यापार से जाती है उसे जमा करो ( Debit What Comes In and Credit What Goes Out )
 
इस नियम के तहत व्यापर में जो वस्तु  आती है उसे नाम अर्थात Dr किया जायेगा और जो वस्तु जाती है उसे जमा अर्थार्त Cr किया जायेगा !
 
3. अवास्तविक खाता ( Nominal Account ) :   खर्च तथा आय से संबंधित खातों को अवास्तविक खाता कहा जाता है ! जैसे – Rent A/c , Interest A/c आदि !
 
अवास्तविक खाते का नियम ( Rule of Nominal Account ) : सभी खर्च एवं हानियों को नाम करो तथा सभी आय एम् लाभों को जमा करो ! ( Debit All Expenses or Losses and Credit All Income and Gains)
 
व्यवसाय में जो खर्च और हानिया होती है उसे नाम Dr किया जाता है ! और जो आय और लाभ होते है उसे जमा Cr किया जाता है !

लेखांकन की कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली ( Important Terminology of Accounting ) :

व्यापार ( Trade ) : कोई भी ऐसा कार्य में जिसमे वस्तुओ का क्रय – विक्रय लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जाता है वह व्यापार कहलाता है !

पेशा ( Profession  ) : कोई भी ऐसा कार्य जिसमे पूर्व प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है पेशा कहलाता है ! जैसे – डॉक्टर , वकील , सीए आदि !

व्यवसाय ( Business ) : ऐसा कार्य जो लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया हो व्यवसाय कहलाता है !

मालिक ( Owner ) : वह व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह जो व्यापार में आवश्यक पूंजी लगाते है , व्यापार का संचालन करते है , जोखिम उठाते है तथा लाभ – हानि के अधिकारी होते है वह व्यापार के मालिक कहलाते है !

पूंजी ( Capital ) : वह धनराशि जो व्यापरी , व्यापार को शुरू करने हेतु लगाता है पूंजी कहलाती है !

आहरण ( Drawings ) : जब कोई व्यापारी अपने व्यावसाय से रोकड़ या माल निकालता है तो इसे आहरण कहते है !

माल (Goods ) : जिस वस्तु से व्यापारी व्यापार करता है वह माल कहलाता है !

क्रय (Purchase ) : जो माल व्यापारी द्वारा दूसरे व्यापारी से ख़रीदा जाता है  क्रय कहलाता है !

विक्रय ( Sales ) : जो माल बेचा जाता है वह विक्रय कहलाता है !

क्रय वापसी ( Purchase Return ) : ख़रीदे हुए माल में से जो माल विक्रेता को वापस कर दिया जाता है वह क्रय वापसी कहलाता है !

विक्रय वापसी ( Sales Return ) : जब बेचे हुए माल में से कुछ माल वापस आ जाता है तो इसे विक्रय वापसी कहते है !

रहतियाँ ( Stock ): साल के अंत में जो माल बिना बीके रह जाता है वह Stock कहलाता है !

लेनदार ( Creditors ) : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को उधार माल या पैसा देती है वह ऋणदाता या लेनदार कहलाती है !

देनदार ( Debtors ) : वह व्यक्ति या संस्था जो किसी अन्य व्यक्ति या संस्था से उधार माल या पैसा लेती है ऋणी या देनदार  कहलाती है !

सम्पतिया ( Assets ) : व्यापार में समस्त वस्तुए जो संचालन में सहायक होती है सम्पति कहलाती है !

खाता ( Ledger ) : लेजर एक बुक होती है जिसमे सभी प्रकार के खातों की एंट्री की जाती है !

डूबत ऋण ( Bad Debts ) : जब उधार की राशि वापस नहीं मिलती है तो उसे डूबत ऋण कहते है !

बट्टा ( Discount ) : व्यापारी द्वारा दी जाने वाली रियायत छूट या बट्टा कहलाती है !

व्यय ( Expenses ) : माल को खरीदने तथा बेचने के दौरान जो खर्चे होते है वह व्यय कहलाते है !

FAQ : 

Q : एकाउंटिंग क्या है ?

Ans : एकाउंटिंग को लेखांकन भी कहाँ जाता है ! किसी खास उद्देश्य को हासिल करने के लिए वित्तीय लेनदेनो का रिकॉर्ड ही लेखांकन कहलाता है !

Q : एकाउंटिंग कितने प्रकार की होती है ?

Ans : एकाउंटिंग मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है – फाइनेंसियल एकाउंटिंग , कॉस्ट एकाउंटिंग और मैनेजमेंट एकाउंटिंग !

Q : खाते कितने प्रकार के होते है ?

Ans : खाते तीन प्रकार के होते है – व्यक्तिगत खाता , वास्तविक खाता तथा अवास्तविक खाता !

Q : लेखांकन का व्यवसाय में क्या महत्व है ?

Ans : लेखांकन के द्वारा व्यापारी अपने व्यवसाय की आर्थिक स्थिति तथा लाभ – हानि की जानकारी प्राप्त करने के लिए एकाउंटिंग का प्रयोग करते है !

Q : लेखांकन का जनक किसे माना जाता है ?

Ans : साइमन कुजनेटस को लेखांकन का जनक माना जाता है ! साइमन कुजनेटस अमेरिका के प्रसिद्द अर्थशास्त्री है !

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