Trading Account Kya Hota Hai| ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है
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हेल्लो दोस्तों , कैसे है आप ? आज के इस लेख में हम बात करेंगे की एकाउंटिंग में ट्रेडिंग अकाउंट क्या होता है ? ( Trading Account Kya Hota Hai ) , यह कैसे बनाया जाता है तथा इसको बनाते समय हमें किन बातो का ध्यान रखना आवश्यक होता है ! तो आइये शुरू करते है Trading Account Meaning In Hindi
ट्रेडिंग अकाउंट क्या है ? ( Trading Account Kya Hai )
ट्रेडिंग अकाउंट खोलकर (Open Trading account) हम अंतिम अकाउंट ( Final Account ) में से किसी व्यापार के बारे में यह पता चलता है कि एक निश्चित ट्रेडिंग अवधि में माल के क्रय ( Purchase ) , विक्रय ( Sales ) , प्रारंभिक रहतिया ( Opening Stock ) तथा अंतिम रहतिया ( Closing Stock ) कितना रहा , तथा क्रय और उत्पादन पर कितना खर्च हुआ और सकल लाभ ( Gross Profit ) अथवा सकल हानी ( Gross Loss ) कितनी हुई !
इस अकाउंट में माल सम्बन्धी खातो के बैलेंस दिखाए जाते है ! ट्रेडिंग अकाउंट दो हिस्सों में तैयार किया जाता है ! बाया हिस्सा डेबिट ( Debit ) साइड तथा दाया हिस्सा क्रेडिट ( Credit ) साइड कहलाता है ! डेबिट साइड में जो माल ख़रीदा जाता है उसे दिखाया जाता है जबकि क्रेडिट साइड में जो माल बेचा जाता है उसे दिखाया जाता है ! इस अकाउंट का शेष डेबिट या क्रेडिट दोनों तरह का हो सकता है ! इस खाते में क्रेडिट बैलेंस लाभ ( Profit ) प्रकट करता है जबकि डेबिट बैलेंस हानी ( Loss ) को प्रकट करता है ! ट्रेडिंग अकाउंट , लाभ – हानी खाते का ही एक भाग माना जाता है ! अतः इस अकाउंट का शीर्षक ट्रेडिंग एंड प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट लिखा जाता है !
Trading Account Format
ट्रेडिंग अकाउंट के डेबिट पक्ष में निम्न हैड आते है –
प्रारंभिक रहतिया ( Opening Stock ) : वर्ष के प्रारंभ में जो माल पिछले वर्ष का बचा हुआ होता है , वह ओपनिंग स्टॉक कहलाता है ! इसमें जब व्यापार को प्रारंभ किया जाता है तब प्रथम वर्ष में कोई ओपनिंग स्टॉक नहीं होता है !
क्रय ( Purchase ) : पुनः परचेस के लिए अथवा उत्पादन में प्रयोग के लिए जो माल नगद या उधार में ख़रीदा जाता है उसे Purchase कहते है ! यदि ख़रीदे हुए माल में से कुछ माल रिटर्न कर दिया जाता है तो उसे Purchase Return कहते है ! यदि कुछ माल दान में दिया जाता है या निजी खर्च हेतु निकल लिया जाता है तो उसे कुल ख़रीदे हुए माल में से घटा दिया जाता है !
प्रत्येक्ष खर्चे ( Direct Expenses ) : माल को खरीदने अथवा ख़रीदे हुए माल को बिक्री योग्य बनाने के लिए उसे सुरक्षित रखने में जो खर्च होते है , वे Direct Expenses कहलाते है ! इन खर्चो के अंतर्गत उत्पादन खर्च , मजदूरी , ढुलाई व् भाडा , बिजली , कोयला व् इंधन , आगत वाहन खर्च , रेल तथा गाड़ी भाडा , मार्ग बिमा खर्च , सरकारी टैक्स जैसे आयात कर , उत्पति कर तथा चुंगी आदि आते है !
सकल लाभ ( Gross Profit ) : यदि ट्रेडिंग अकाउंट के डेबिट साइड का योग क्रेडिट साइड के योग से कम होता है तब वह अंतर सकल लाभ कहलाता है ! यह ट्रेडिंग खाते में डेबिट साइड की और ग्रॉस प्रॉफिट आगे लाकर लिखा जाता है ! इस ग्रॉस प्रॉफिट को प्रॉफिट एंड लोस अकाउंट में ट्रान्सफर कर दिया जाता है ! जहाँ इसे ग्रॉस प्रॉफिट आगे ला कर लिखा जाता है !
ट्रेडिंग अकाउंट के क्रेडिट साइड में निम्न हैड आते है –
विक्रय ( Sales ) : ट्रेडिंग अकाउंट में क्रेडिट साइड की और बिक्री को लिखा जाता है ! इसमें कैश तथा क्रेडिट दोनों तरह की बिक्री शामिल होती है ! यदि कुछ बेचा हुआ माल वापस आ जाता है तब उसे Sale Return कहते है ! इसे कुल बिक्री में से घटाकर दिखाते है !
अंतिम रहतिया ( Closing Stock ) : वर्ष के अंत में जो माल सेल होने से बचा रहता है उसे क्लोजिंग स्टॉक कहते है ! इसे ट्रेडिंग अकाउंट के क्रेडिट साइड की और लिखा जाता है !
सकल हानी ( Gross Loss ) : जब डेबिट साइड का योग क्रेडिट साइड से ज्यादा होता है तब उसका अंतर ग्रॉस लोस कहलाता है ! इसे ट्रेडिंग अकाउंट के डेबिट पक्ष की और लिखा जाता है ! इस ग्रॉस लोस को प्रॉफिट एंड लोस अकाउंट में ट्रान्सफर कर दिया जाता है !
दोस्तों उम्मीद करता हूँ ? What Is Trading Account In Accounting In Hindi लेख आपको जरुर पसंद आया होगा ! अगर Trading Account Meaning In Hindi आपको अच्छा लगा है तो प्लीज इसे शेयर जरुर करे !
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