चेक बाउंस ( Cheque Bounce ) क्या है ? – Cheque Bounce In Hindi

Cheque Bounce

चेक बाउंस क्या है ? – Cheque Bounce In Hindi

Cheque Bounce Kya Hota Hai – दोस्तों आजकल अधिकतर लोग cash देने की बजाय चेक देना अधिक पसंद करते है ! अधिकतर व्यापारी वर्ग अपने सप्पलायर को माल खरीदते वक्त रोकड़ देने की बजाय अपने बैंक खाते की चेक बुक में से चेक काटकर देना अधिक सुविधाजनक मानते है ! इससे उनका एक फायदा तो यह होता है कि उन्हें अपने साथ कैश नहीं रखना होता है वही दूसरी और कैश के खोने का डर भी नहीं रहता है और उनका काम भी लीगली सही हो जाता है !

हेल्लो फ्रेंड्स कैसे है आप ? आज के इस लेख में हम जानेंगे की चेक बाउंस ( Cheque Bounce ) क्या होता है ? चेक बाउंस होने के नए नियम क्या है ? चेक बाउंस होने की दशा में आपके खाते से कितना चार्ज कटता है ? इन सभी बातो को विस्तार से जानेंगे ! तो आइये शुरू करते है Cheque Bounce In Hindi / Cheque Bounce Meaning In Hindi

 

चेक बाउंस को जानने से पहले हम यह जान लेते है की चेक क्या होता है –

चेक क्या होता है ? ( What Is Cheque )

चेक एक तरह का भुगतान पत्र होता है जिसके द्वारा किसी दुसरे व्यक्ति को कागज पर लिखकर भुगतान किया जाता है !

साधारण शब्दों में हम कह सकते है कि चेक एक ऐसा कागज का टुकड़ा होता है जो बिना किसी शर्त के बैंक को यह आदेश करता है कि उस पर लिखी हुई राशी का भुगतान वह दुसरे व्यक्ति को करे , जो बैंक में चेक प्रस्तुत करता है !

चेक में देने वाले का नाम या फर्म का नाम लिखा होता है ! और उसमे उस व्यक्ति का नाम लिखा जाना अनिवार्य है जिसको भुगतान किया जाता है ! और उसमे उस राशी को भी अंको में और शब्दों में अंकित किया जाता है जितनी राशी का हमें भुगतान करना होता है !

 

चेक बाउंस क्या है ? ( Cheque Bounce In Hindi )

जब आप किसी व्यक्ति को पेमेंट करने के उद्देश्य से अपने किसी बैंक खाते की चेक बुक में से चेक काटकर देते है तो वह व्यक्ति उस चेक को तीन महीने के भीतर कभी भी बैंक में जाकर उस चेक को पैसे प्राप्त करने के लिए बैंक में लगाता है और उस समय आपके अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं है तो ऐसी स्थिति में बैंक उस व्यक्ति को भुगतान नहीं कर पाता है और आपका चेक बाउंस हो जाता है ! ऐसी स्थिति को हम चेक बाउंस ( Cheque Bounce ) कहते है !

कानून के अनुसार यदि आपके द्वारा दिया गया चेक बाउंस हो जाता है तो यह दंडनीय अपराध माना जाता है ! ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति आपके खिलाफ वाद दायर कर सकता है जिससे आपको जुर्माना या फिर सजा भी हो सकती है !

 

चेक बाउंस होने के कारण (Reasons for Cheque Bounce )

  • यदि चेक में हस्ताक्षर सही नहीं है या फिर बैंक में किये हुए हस्ताक्षर से मेल नहीं खाता हो !
  • यदि चेक में प्राप्त करने वाले का नाम सही नहीं लिखा हो !
  • यदि अंको और शब्दों में लिखी गई राशी मेल नहीं खाती हो !
  • यदि अकाउंट नंबर सही नहीं लिखा हो !
  • खाते में चेक का भुगतान करने जितनी पर्याप्त राशी नहीं होने पर !
  • तारीख का उल्लेख नहीं किया गया हो या फिर लिखी गयी तारीख से तीन महिना बीत जाने की दशा में !
  • यदि ड्रॉअर बैंक को चेक का भुगतान न करने का आदेश देता है !
  • यदि ड्रॉअर ने चेक बैंक में पेश होने से पहले ही अपना खाता बंद कर दिया हो !
  • यदि किसी अदालत ने बैंक को उस चेक का भुगतान करने से रोका हो !
  • यदि ड्रॉअर की मृत्यु या पागलपन होने की दशा में बैंक को सुचना मिलने पर !

 

चेक बाउंस होने की दशा में पेनल्टी ( Penalty for Cheque Bounce )

यदि आपके द्वारा दी गयी चेक की राशी अधिक बड़ी है तो इसमें आपको दो किस्तों में भुगतान करने की छुट दी जाती है !    60 दिन की अवधि के बाद 30 दिन की अतिरिक्त छुट भी दी जाती है ! चेक बाउंस की दशा में आरोपी को ट्रायल कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो मामले को अपीलीय अदालत में भेज दिया जाता है ! यहाँ पर इस अदालत के द्वारा आरोपी को कुल राशी  का 20 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक चार्ज लगा सकती है !

 

चेक बाउंस के नियम ( Cheque Bounce Rule )

  • यदि कोई चेक बाउंस होता है और यदि चेक प्राप्तकर्ता अदालत में अपील करता है तो Negotiable Instruments Act 143A के अनुसार चेक जारीकर्ता को अंतरिम राहत के तौर पर अदालत मूल राशी का 20 प्रतिशत राशी चेक प्राप्तकर्ता को देने का आदेश देती है ! यह राशी उसे 60 दिनों के भीतर देनी होती है !
  • यदि चेक प्राप्तकर्ता की शिकायत सही पाई जाती है तो अदालत चेक जारीकर्ता को 20 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक की राशी का जुर्माना लगा सकती है !
  • इसके अलावा यदि आरोपी पर आपराधिक उद्देश्य साबित होता है तो उसे 2 साल की सजा भी हो सकती है !
  • यदि चेक प्राप्तकर्ता की शिकायत झूठी पाई जाती है तो अदालत मुआवजे की राशी को ब्याज सही वापस वसूल कर सकती है !

 

चेक बाउंस का नोटिस क्या है ? ( Notice for Cheque Bounce )

Negotiable Instruments Act की धारा 138 के अनुसार जब किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो जाता है तो वह न्यायलय में वाद दायर कर सकता है ! लेकिन वाद दायर करने से पहले उसे आरोपी को इसका नोटिस भेजना जरुरी होता है !

नोटिस का आशय यह है कि चेक प्राप्त करने वाले व्यक्ति को यह उल्लेख करना होता है कि जिसने चेक दिया है उसका चेक किन कारणों से बाउंस हुआ है उसे इस बात से अवगत कराया जाए और उस राशी की मांग की जाए जो चेक में लिखी गयी गई है !

चेक बाउंस की दशा में चेक देने वाले को लीगल नोटिस भेजने के उपरांत 15 दिन का समय दिया जाना चाहिए ! उस नोटिस में यह उल्लेख करे कि आज दिनांक से 15 दिन के भीतर चेक में अंकित राशी का भुगतान किया जाए अन्यथा आपके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाई की जाएगी !

चेक बाउंस होने की दशा में कितना शुल्क लगता है ? (Charge for Cheque Bounce )

वैसे तो चेक बाउंस होने की दशा में काटा जाने वाला शुल्क अलग – अलग बेंको में भिन्न – भिन्न होता है ! यदि हम एसबीआई बैंक की बाते करे तो इसकी शाखा में जमा होने वाले किसी चेक के सम्बन्ध में उस चेक को जारी करने वाले उस बैंक ने बिना भुगतान किये हुए वापस लौटा दिया है तो ऐसी स्थिति में 150 रूपये तक शुल्क वसूल किया जायेगा !

यदि चेक की राशी 1 लाख रूपये से अधिक है तो 250 रूपये का शुल्क देना होगा इसके अतिरिक्त इसपर gst अलग से देना होगा ! किसी तकनीक की कमी से बाउंस होने पर 150 रूपये ! यदि चेक बैलेंस अपर्याप्तता के कारण बाउंस हुआ है तो इस पर 500 रूपये और gst शुल्क वसूल किया जायेगा !

दोस्तों इस लेख में हमने जाना कि Cheque Bounce Kya Hota Hai और चेक बाउंस होने के क्या कारण हो सकते है और इसके नियम क्या है ! यदि आपको Cheque Bounce In Hindi लेख में कोई बात समझने में प्रॉब्लम है तो आप हमें कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट कर सकते है ! हम हमेशा आपकी मदद को तैयार रहेंगे !

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